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दीर्घ दृष्टि-दोष क्या है ? इसका निवारण कैसे किया जाता है ?

दीर्घ दृष्टि-दोष (Hypermetropia) :- जब आंखों के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी सामान्य आंख की तुलना में अधिक हो जाती है तथा आंखें निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं तब ऐसे दोष को दीर्घ दृष्टि-दोष कहते हैं। दीर्घ दृष्टि-दोष के कारण (Causes of Hypermetropia) :- 1. नेत्र गोलक (Eyeball)…

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निकट दृष्टि-दोष क्या है? इसका निवारण कैसे किया जाता है?

निकट दृष्टि-दोष (Myopia) :- जब आंखों के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी सामान्य आंख की तुलना में कम हो जाती है तथा आंखें दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं तब ऐसे दोष को निकट दृष्टि-दोष कहते हैं। निकट दृष्टि-दोष के कारण (Causes of Myopia) :- 1. नेत्र गोलक (Eyeball)…

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मानव नेत्र का सचित्र वर्णन, नेत्र की कार्य-प्रणाली तथा समंजन क्षमता!

मानव नेत्र (Human Eye) :- मानव नेत्र एक प्राकृतिक प्रकाशिक यंत्र है जिसके द्वारा हम किसी वस्तु को प्रकाश की उपस्थिति में देख सकते हैं। यह आकार में लगभग गोलीए होता है जो खोपड़ी के एक गड्ढे में मांसपेशियों की सहायता से जुड़े होते है। इस गोलाकार प्रकाशबद्ध प्रकोष्ठ को नेत्र गोलक (eye ball) कहते…

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खगोलीय दूरबीन क्या है? खगोलीय दूरबीन में प्रतिबिंब का निर्माण तथा आवर्धन क्षमता का व्यंजक!

खगोलीय दूरबीन (Astronomical Telescope) :- खगोलीय दूरबीन एक अपवर्तक दूरबीन है। यह दूरबीन विशेष रूप से आकाशीय पिंडों जैसे सितारों, ग्रहों आदि के प्रेक्षण में उपयोग होता है। इसके द्वारा हमेशा वस्तु का उलटा प्रतिबिंब बनता है। अतः पृथ्वी की वस्तुओं को देखने में इसका उपयोग नहीं किया जाता है। चूंकि सभी आकाशीय पिंड गोले…

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सरल सूक्ष्मदर्शी क्या है? सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता का व्यंजक।

सरल सूक्ष्मदर्शी (Simple Microscope) :- सरल सूक्ष्मदर्शी कम फोकस दूरी वाला एक उत्तल लेंस (convex lens) है जिसके एक ओर इसके प्रकाश केंद्र तथा फोकस दूरी के बीच किसी वस्तु को रखकर दूसरी ओर से देखने पर उसी वस्तु का आवर्धित प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। इसे आवर्धक (Magnifying) लेंस भी कहा जाता है। सरल सूक्ष्मदर्शी…

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संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की बनावट तथा उसकी आवर्धन क्षमता

संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope) :- सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता बढ़ाने के लिए जब उसमें दो लेंस प्रयोग किए जाते हैं तब ऐसे यंत्र को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी करते हैं। एक लेंस से पहले वस्तु का आवर्धित वास्तविक प्रतिबिंब बनता है जो दूसरे लेंस के लिए वस्तु का कार्य करता है, परिणामी प्रतिबिंब अपेक्षाकृत अधिक आवर्धित…

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दर्शन कोण तथा कोणीय आवर्धन किसे कहते है?

दर्शन कोण (Visual Angle) :- किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर अंतरिक्ष कोण को दर्शन कोण कहा जाता है। नेत्र को किसी वस्तु का छोटा या बड़ा दिखाई देना दर्शन कोण के मान पर निर्भर करता है। किसी वस्तु को नेत्र के निकट लाने पर उसके द्वारा नेत्र पर अंतरित कोण बढ़ता जाता है और रेटिना…

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संपर्कित लेंसों की समतुल्य फोकस दूरी का व्यंजक, संपर्कित लेंसों की क्षमता!

संपर्कित लेंसों की समतुल्य फोकस दूरी का व्यंजक :- माना कि L₁ तथा L₂ समान अक्ष पर रखे दो संपर्कित लेंस है, इन लेंसों की फोकस दूरी क्रमशः f₁ तथा f₂ है। प्रधान अक्ष के बिंदु O पर रखी बिंदुवत एक वस्तु जिसका प्रतिबिंब लेंस L₁ द्वारा I’ पर बनता है, जो दूसरे लेंस L₂…

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समतुल्य लेंस – संपर्क में रखे दो लेंसों की समतुल्य फोकस दूरी का व्यंजक

समतुल्य लेंस (Equipment lens) :- यदि दो या दो से अधिक समाक्षीय (coaxial) लेंसों के युग्म के बदले एक ऐसा लेंस लिया जाए, जिसे लेंस-युग्म के अक्ष पर उपयुक्त स्थान पर रखने से किसी वस्तु का प्रतिबिंब उसी स्थान पर तथा उतने ही आवर्धन का बने जैसा कि लेंस-युग द्वारा होता है, तो इस अकेले…

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पतले लेंस से अपवर्तन -लेंस मेकर सूत्र!

पतले लेंस से अपवर्तन (Refraction through a thin lens) :- माना कि n अपवर्तनांक वाले पारदर्शक माध्यम में 1 अपवर्तनांक वाले एक पतला लेंस रखा है। लेंस के गोलीय पृष्ठों की वक्रता-त्रिज्याएं R₁ और R₂ है तथा इसके प्रधान अक्ष पर O एक बिंदु वस्तु (point object) है। लेंस के प्रथम पृष्ठ PB से प्रकाश…

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लेंस द्वारा प्रतिबिंब का निर्माण कैसे होता है? लेंस की क्षमता तथा आवर्धन क्या है?

लेंस द्वारा प्रतिबिंब का निर्माण (Image formation due to lens) :- लेंस द्वारा बने किसी वस्तु के प्रतिबिंब की स्थिति को ज्ञात करने के लिए वस्तु के किसी बिंदु से आने वाली निम्नलिखित तीन प्रकार की किरणों का पथ खींचा जा सकता है। लेंस द्वारा प्रतिबिंब का निमार्ण – इसमें कोई दो प्रकाश किरणें प्रतिबिंब…

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(1) उत्तल गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन का सूत्र तथा (2) अवतल गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन का सूत्र

(1) उत्तल गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन का सूत्र :- माना कि दो पारदर्शक माध्यमों को अलग करने वाली उत्तल सतह (convex surface) का परिच्छेद AB है, जिसका ध्रुव P तथा वक्रता केंद्र C है। यदि प्रधान अक्ष पर स्थित बिंदुवत प्रकाश स्रोत O विरल माध्यम (1) में हो, तो बिंदु O से चलने वाली प्रकाश-…

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